परिवार मनुष्य का एक अभिन्न अंग है बिना परिवार मनुष्य नहीं होता नहीं उसमें मनुष्यता होती है और परिवार में बड़े बुजुर्ग माता पिता बच्चे सभी का समावेश होता है पीढ़ी दर पीढ़ी यह कहानी बढ़ती जाती है हम और आप गुजरते लम्हों को देखते हैं आने वाले लम्हों का इंतजार करते हैं पर एक बात जो हम कभी नहीं बड़े विश्वास और ध्यान से अपने ख्यालों में रखते हैं वह है लाल पालक उन बच्चों का जो बड़े होकर जवान बच्चे का नाते अर्थ वयस्क होते हैं बहुत ही होते हैं और फिर दुनिया से चले जाते हैं परिवार दर परिवार दो ही जाता रहता है और नए परिवार बनते रहते हैं आते रहते समूह के बीच एक प्रक्रिया होती है अच्छा जाती है किसी परिवार में अच्छे संस्कार से बड़े बच्चों को देखते हैं और किसी परिवार में बच्चों को संस्कार ही देखते मेरा कहीं से भी किसी को दुखी करने का इरादा नहीं है कि आपके बच्चे संस्कारी हैं या गैर संस्कारी मेरा इरादा कितना है अगर हम अपने कर्तव्यों से अपने विचारों से अपनी समझदारी से अपने व्यवहार से नवजात शिशु का लालन-पालन एक अनुकूल स्थितियों के अनुसार करते हैं तब हमें यह तकलीफ नहीं सानी पड़ती के बच्चे संस्कारी ना हुए।
बच्चों के शुरुआती सालों के लालन पालन में माता का बहुत रोल होता है। उसका सीधा कारण है के बच्चे शारीरिक रूप से माता के साथ जुड़े होते हैं। पिता उनकी मानसिक देखभाल नहीं कर सकता उसके स्वास्थ्य के रक्षा कर सकता है उसे विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकता है परंतु जहां तक मानसिक संबंध का सवाल है परिवार में माता स्थान ही प्रथम है।