Saturday, November 30, 2019

परिवार का महत्त्व

परिवार मनुष्य का एक अभिन्न अंग है बिना परिवार मनुष्य नहीं होता नहीं उसमें मनुष्यता होती है और परिवार में बड़े बुजुर्ग माता पिता बच्चे सभी का समावेश होता है पीढ़ी दर पीढ़ी यह कहानी बढ़ती जाती है हम और आप गुजरते लम्हों को देखते हैं आने वाले लम्हों का इंतजार करते हैं पर एक बात जो हम कभी नहीं बड़े विश्वास और ध्यान से अपने ख्यालों में रखते हैं वह है लाल पालक उन बच्चों का जो बड़े होकर जवान बच्चे का नाते अर्थ वयस्क होते हैं बहुत ही होते हैं और फिर दुनिया से चले जाते हैं परिवार दर परिवार दो ही जाता रहता है और नए परिवार बनते रहते हैं आते रहते समूह के बीच एक प्रक्रिया होती है अच्छा जाती है किसी परिवार में अच्छे संस्कार से बड़े बच्चों को देखते हैं और किसी परिवार में बच्चों को संस्कार ही देखते मेरा कहीं से भी किसी को दुखी करने का इरादा नहीं है कि आपके बच्चे संस्कारी हैं या गैर संस्कारी मेरा इरादा कितना है अगर हम अपने कर्तव्यों से अपने विचारों से अपनी समझदारी से अपने व्यवहार से नवजात शिशु का लालन-पालन एक अनुकूल स्थितियों के अनुसार करते हैं तब हमें यह तकलीफ नहीं सानी पड़ती के बच्चे संस्कारी ना हुए।
बच्चों के शुरुआती सालों के लालन पालन में माता का बहुत रोल होता है। उसका सीधा कारण है के बच्चे शारीरिक रूप से माता के साथ जुड़े होते हैं। पिता उनकी मानसिक देखभाल नहीं कर सकता उसके स्वास्थ्य के रक्षा कर सकता है उसे विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकता है परंतु जहां तक मानसिक संबंध का सवाल है परिवार में माता स्थान ही प्रथम है।

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