*******सप्रेम******
हो सकता है मैं,
एक अच्छा पिता ना हो पाया,
अपने बच्चों को वो संस्कार,
शायद वो शिक्षा, न दे पाया।
बचपन में तो शायद उसके मन को,
टटोल पाया होऊंगा!
बड़े होने पर उनकी भावनाओं को,
न समझ पाया होऊंगा।
साहस से ही धर्म भी चलता है,
और कर्म भी चलता है।
इंसान अपनी गलतियों,
से ही संभलता है।
कोशिशें कामयाब होती है,
वादे टूट जाते हैं।
इतना समझ कर आगे का
कर्तव्य निभा पाता हूं।
प्रथम गुरु के एहसास से
नवाजा तो गया हूं?
कर्तव्य निभाने के लिए
संवारा तो गया हूं?
इसलिए हर कोशिश करता हूं,
वादा नहीं कर सकता!
दायित्वपूर्ण पिता होने का
दावा नहीं कर सकता!
सभी पिताओं से मेरी तहे-दिल दरखास्त है।
आपके संतान में आपके प्यार सम्मिलात है।
दुआ है प्रभु से बस, संतान के कदम हमेशा,
फूलों पर रहे, बस इतनी अपनी जज्बात है।
........सप्रेम.....
#FathersDay
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