Friday, December 27, 2019

आधी अधूरी कहानी पर पूरी जिंदगानी

।।आधी अधूरी कहानी पर पूरी जिंदगानी।।

चूंकि आज श्रीमती जी का मन नहीं था कि वह टहलने की प्रक्रिया को पूरा करें, परंतु मेरी जिद्द के कारण उन्हें टहलने जाना पड़ा।और वास्तविकता तो यह है कि उम्र के साथ बढ़ते हुए अर्धनारीश्वर, अर्धांगिनी और बेटर हाफ जैसे सम्मानित शब्दों को सार्थक करते हुए मैडम की भी स्वास्थ्य का ख्याल रखना मेरा धार्मिक कर्तव्य बनता है।

खैर, पार्क में टहलने के दौरान मैंने दो वीर नारियों को काफी तेजी से चलते हुए देखा और धर्मपत्नी को सलाह दी कि इस तरह धीरे-धीरे टहलने से कसरत नहीं हो पाएगा तो आप भी उन वीर नारियों की तरह उनका पीछा करते हुए टहलें।
एक तो सुबह उठकर टहलने की अमरुचि श्रीमती जी के साथसाथ चल रहे थे, उस पर से इस व्यंग बाण, जिसे वस्तुतः मैंने सोचा नहीं था, परंतु बाद में एहसास हुआ कि श्रीमती जी ने अपने कदम जब काफी तेज बढ़ा दिये और लगभग दौड़ते हुए दोनों तेज धावक ना रियों को परास्त करते हुए आगे बढ़ने लगीं। इस नारी शक्ति का एहसास ने मुझे लगभग भया क्रांत कर दिया था और मैंने अपने भी पैर तेजी से उनकी तरफ बढ़ाने की प्रेरणा पाई।
चेहरा लाल, उत्तेजना से परिपूर्ण, हमारी सात जन्मो तक निभाने वाली श्रीमती जी के रूप से साफ झलक रहा था कि मुझे ऐसा वैसा मत समझो और मैं अपनी खैरियत के बारे में सोच रहा था कि किस प्रकार माता चंडी को शांत कर पाऊंगा?

लेकिन नसीब में कुछ और ही लिखा था जब मैं तेजी से पैर बढ़ाते हुए उनके पीछे पीछे पहुंचने ही वाला था कि दुर्भाग्यवश उनके पास पहुंचने के करीब होते ही उनका पैर मेरे पैरों से टकरा गया। गलती उनकी नहीं थी बल्कि उस व्यंग बाण के संताप की थी, जो मैंने कुछ देर पहले छोड़ा था और परिणाम स्वरूप गिरते-गिरते वह संभली भले ही उन्हें संभाल ने में मेरा पूरा योगदान था!
पर होनी को कौन टाल सकता है। वातावरण में सूरज की गर्मी बिना सूरज के बढ़ गई थी ठंडी ठंडी प्रभात की हवाएं मुझे ऐसी लग रही थी की टाटा की लोहे गलाने वाली फैक्ट्री के पास से गुजर रहा हूं। संभलते ही श्रीमती जी ने अपनी बौखलाहट मुझ पर पटक डाली :
-मार देते क्या?"
मैंने वस्तुतः दोनों हाथ जोड़े हुए सर झुकाए हुए वाली स्थिति में थोड़ा सा स्तब्ध रह गया। "थोड़ा सा स्तब्ध" इसलिए कि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति महीने 2 महीने भर में हो ही जाती है। जो कभी-कभी घंटों या एक-दो दिन चल जाती है या फिर कुछ बहुमूल्य उपहार आदि की प्रस्तुति के बाद रास्ते पर आ जाती है। 
पर आज की परिस्थिति कुछ वैसी न लग रही थी और मुझे पूरी आशंका थी कि यह सप्ताह मेरा अच्छा नहीं गुजरेगा।

खैर उनके गरजते बरसते ही बगल से वीर तेज धावक ना रियां घबरा गई और पूछ बैठी... "क्या हुआ।"
"होगा क्या" मेरे बेरुखे स्वर, जैसा कि अक्सर होता नहीं है, क्योंकि नारियों के सम्मान  मैं मैं कोई कमी नहीं रखता कर ता, पर बड़बड़ाती दोनों वीर नारियों की आवाज मेरे कानों में आ रही थी... 
"ऐसा मानुस नहीं देखा?"

सारी बातों की दुश्चिंता को दूर करते हुए मेरा कंसंट्रेशन वापस तुरंत श्रीमती जी पर पलों में लौट आया और मैंने प्यार से सॉरी बोला। पर इस सॉरी ने आग में घी का काम किया और पार्क में घूमने के बजाय उनका रास्ता घर की ओर बदल गया।

चलिए कहानी तो इतनी ही है। किसी तरह अपने सारे अनुभवों का इस्तेमाल करते हुए मान मनौ व्वल कर स्थिति को काफी हद तक काबू में कर लिया। बस एक बात कहने को रह गई इस घटना के तुरंत पहले मैंने एक प्रेमी जोड़े को जो हमारे ही आसपास टहलते जा रहे थे, आपस में टकराकर गिर गए थे, परंतु दोनों ने एक दूसरे को सहारा देकर सॉरी बोलकर मुस्कुराते हुए अपनी पगबाधा पूरी करने का निश्चय किया था। 

पता नहीं उनकी शादी हुई थी या नहीं, पर मेरी शादी को तो 33 साल हो चुके हैं। पर चलिए, ऊपर वाले की कृपा लगता है मेरा सप्ताह शायद अच्छा गुजरने वाला है, क्योंकि चाय के साथ कल ही रिलायंस स्टोर से खरीदी हुई शानदार मेरे पसंद की चीनी वाले बिस्किट लेकर मुस्कुराते हुए मेरी अर्धांगिनी जी, मेरे सामने खड़ी है😁🤔
#३३साल_का_महत्व

Sunday, December 8, 2019

न हिंदू न मुसलमान

जब भी गहरी शाम में,
कब्रगाह के पास से गुजरता हूं, 
तो 2-4 शिला-समाधियों पर जलती हुई,
मोमबत्तियां भी देख लेता हूं। 

फिर उसके प्रकाश में नए-नवेले
जगमगाते चमचमाते संगे-बुनियाद 
भी नजर आ ही जाते हैं!

बस सोच कर इतना ही हैरान होता हूं कि 
बचे हुए हजारों हेडस्टोंस में
कब रुक गई होगी मोमबत्तियों
के जलाने की प्रथा??

वक्त यूं ही नहीं गुजर जाता है,
और यूं ही नहीं बदल जाता है, 
 
मृत्यु तक, मृत्योपरांत तक या 
फिर पुनर्जन्म की परिकल्पना तक
शायद, जो हो ना हो!!
वहां तक........!!

कौन जलाता रहेगा मोमबत्तियां...?
क्यों जगमगाते चमचमाते रहेंगे हेडस्टोंस?
तो फिर?
बस अनंत को पहचानो,
जहां ईश्वर है, खुदा है, यिशु है!

मेरी यह कविता...
न हिंदू है, न मुसलमान है। 
न इसाई है, न कृपाण है।
बस यही सोचता हूं कि 
मानव जाति पर रहें
बस ऊपरवाला मेहरबान।
जयश्रीराम, आमीन, सतश्रीअकाल।

Saturday, November 30, 2019

परिवार का महत्त्व

परिवार मनुष्य का एक अभिन्न अंग है बिना परिवार मनुष्य नहीं होता नहीं उसमें मनुष्यता होती है और परिवार में बड़े बुजुर्ग माता पिता बच्चे सभी का समावेश होता है पीढ़ी दर पीढ़ी यह कहानी बढ़ती जाती है हम और आप गुजरते लम्हों को देखते हैं आने वाले लम्हों का इंतजार करते हैं पर एक बात जो हम कभी नहीं बड़े विश्वास और ध्यान से अपने ख्यालों में रखते हैं वह है लाल पालक उन बच्चों का जो बड़े होकर जवान बच्चे का नाते अर्थ वयस्क होते हैं बहुत ही होते हैं और फिर दुनिया से चले जाते हैं परिवार दर परिवार दो ही जाता रहता है और नए परिवार बनते रहते हैं आते रहते समूह के बीच एक प्रक्रिया होती है अच्छा जाती है किसी परिवार में अच्छे संस्कार से बड़े बच्चों को देखते हैं और किसी परिवार में बच्चों को संस्कार ही देखते मेरा कहीं से भी किसी को दुखी करने का इरादा नहीं है कि आपके बच्चे संस्कारी हैं या गैर संस्कारी मेरा इरादा कितना है अगर हम अपने कर्तव्यों से अपने विचारों से अपनी समझदारी से अपने व्यवहार से नवजात शिशु का लालन-पालन एक अनुकूल स्थितियों के अनुसार करते हैं तब हमें यह तकलीफ नहीं सानी पड़ती के बच्चे संस्कारी ना हुए।
बच्चों के शुरुआती सालों के लालन पालन में माता का बहुत रोल होता है। उसका सीधा कारण है के बच्चे शारीरिक रूप से माता के साथ जुड़े होते हैं। पिता उनकी मानसिक देखभाल नहीं कर सकता उसके स्वास्थ्य के रक्षा कर सकता है उसे विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं से बचा सकता है परंतु जहां तक मानसिक संबंध का सवाल है परिवार में माता स्थान ही प्रथम है।

Saturday, June 15, 2019

पिताजी

*******सप्रेम******
हो सकता है मैं,
एक अच्छा पिता ना हो पाया,
अपने बच्चों को वो संस्कार,
शायद वो शिक्षा, न दे पाया।

बचपन में तो शायद उसके मन को,
टटोल पाया होऊंगा!
बड़े होने पर उनकी भावनाओं को,
न समझ पाया होऊंगा।

साहस से ही धर्म भी चलता है,
और कर्म भी चलता है।
इंसान अपनी गलतियों,
से ही संभलता है।
कोशिशें कामयाब होती है,
वादे टूट जाते हैं।
इतना समझ कर आगे का
कर्तव्य निभा पाता हूं।

प्रथम गुरु के एहसास से
नवाजा तो गया हूं?
कर्तव्य निभाने के लिए
संवारा तो गया हूं?
इसलिए हर कोशिश करता हूं,
वादा नहीं कर सकता!
दायित्वपूर्ण पिता होने का
दावा नहीं कर सकता!

सभी पिताओं से मेरी तहे-दिल दरखास्त है।
आपके संतान में आपके प्यार सम्मिलात है।
दुआ है प्रभु से बस, संतान के कदम हमेशा,
फूलों पर रहे, बस इतनी अपनी जज्बात है।
             ........सप्रेम.....
#FathersDay